Maithili kavita - Nishant jha

कविता,
दांत में फंसल
अड्बंगा और क्लिष्ट शब्द के काफिया नय थिक
कविता,
जिंदगी के ख़राब अनुभव जे
कारी चट्टान
के निच्चा
पियर रेत स डिरिया रहल अछि , गर्म चिटठा जकां अछि
इ कविता के आकार
कोनो समाज के कच्छ स पैघ त नय
मगर ओय समाज के न्याय स पैघ अछि
जे अन्हरिया राइत में भुईक रहल कुकुर के वफादार होबक प्रमाण पत्र दैत अछि
की अछि कविता
मासिक धर्म स निवृत्त स्त्री के चेहरा के हर्ष
इ त देश के दुर्भाग्य अछि
कि इ देश के कवि
या त माशूक पर कविता लिख रहल अछि
या बसंत पर...
सरकारी और ईमानदार जमादार के आंइख
जे कोन पर पड़ल लाल पीक जकां ललचाबईत अछि
और हमर धर्म बरगद के छाहैर पर शिक्षा दैत अछि
" इ जे कोना पर लाल अछि है"
सूरज के अह्ने गुलाल अछि "
लिखनाइ एतेक ख़राब नय
की बुराई के स्थापना केल जाय
और हमर भरती ओतय निःशुल्क भ जाय
फेर आहांक लेल की पथ बांचत ..
name nishant jha
ghar singion
p.o rampatti
dist madhubani
bihar

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