Maithili kavita - Sunar mithila chanan mithila

***सुन्नर मिथिला, चानन मिथिला***

मिथिला स न, सुन्नर नगरी कतअ 
मिथिला स न, चानन नगरी कतअ, 
बोली में बहैयत छैय, गंगा के धार 
ऐहन निर्मल वाणी क त अ... 

प्रात: वंदन होइया ऐ त अ 
घर घर सांझ परैया यौ, 
चाहे कत बो बरका भ अ जाऊ 
माँ बापक बौ ऐ, रहैय छैय यौ... 

एखनो चरण छुबि, प्रणाम जत अ
घूँघट में कनिया च लै ई छैय यौ,  
मिथिला सन सांस्कृति क तौ अ 
क अ हु की, भेटैय छैय यौ...

ऐखनो धरि ''पाहून'' के ऐ त अ 
पिड़ही पर, बईस बई छैय यौ,
तरुआ-बघरु आ, साच्चार लगा कअ 
खूब स्वागत, करै छैय यौ... 

भाग्य मिथिला के, या भाग्य ''राम जी'' के 
''अभिषेक'' ई ने ज नै या यौ, 
पाहून ब ईन, आईब क मिथिला 
भाग्य अपन ''ओ'' कहल खिन यौ...

मिथिला स न, सुन्नर नगरी कतअ 
मिथिला स न, चानन नगरी कतअ.......2



अभिषेक कुमार झा......................

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