Ham Mithila ke beti - Maithili kavita - Abhishek jha

हम मिथिला के बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर
हम मिथिला क बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर...

नैय चाही हमारा गाड़ी 
नैय चाही नैअ लख्खा हार
हम मिथिला के बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर...

नैय चाही हमारा गहना गुड़िया 
नैय चाही हमारा सृगांर
दहेज़ नैय मांगू हमर बाबु साँ 
हमर अछि बस येहअ पुकार... 

डाक्टर छी या छी इंजिनीयर
त अ किया मंगैत दहेज़ छी 
दू वक़्त क रोटी लेल 
की नैय अहाँ कमाईत छी... 

हमारा जानु हमरा पहचानु 
हम्मर देखू आचार-विचार 
हम मिथिला के बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर

नैय चाही महल दू महला
नैय चाही ऐशो आराम 
बंद करू आब दहेज़ प्रथा 
अहि पर लगाबू पूर्ण विराम... 

हम मिथिला क बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर
हम मिथिला क बेटी छी
हमर अपने अछी सृगांर....



अभिषेक कुमार झा.............
**जहाँ तक हम देखयत छी मिथिला के बेटी वाकई में ई पुकाईर पुकाईर कहैत छाईथ, कोशिश एकटा जे पीड़ा समईझ कअ. ई दूर करई के प्रय्तन करीई** 

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