गजल
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amit mishra[a.j}
- on 23:12
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डहकल करेज जड़ल करेज और जड़ाएब कोना
बीन डोरक पतंग अहाँ कहू और उड़ाएब कोना
जीवनक पर्दा पर कतेक नव नव नाटक खेललौँ
जखन अन्हार भेल रंगमंच रचना रचाएब कोना
आँखिक सामने उजड़ि गेल बसल बसाएल दुनियाँ
आब भटकल बाट पर प्रेम नगर बसाएब कोना
की सही केलौँ आ की गलत केलौँ किछ नै जानि हम पेलौँ
जानै छी एत' बड भीड़ छै नैन सँ नोरो बहाएब कोना
खुशी सँ काटू जीवन खसैत पड़ैत काटि लेब हमहूँ
"अमित" आजुक राति बड भारी राति इ बीताएब कोना
वर्ण-21
अमित मिश्र
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