गजल
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ओम प्रकाश,
गजल
- on 12:46
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अहाँ हमरासँ एना नै रूसल करू
कनी प्रेमक सनेसाकेँ बूझल करू
हमर जिनगीक बाटक छी संगी अहीं
करेजक बाट कखनो नै छोडल करू
बहन्ना फुरसतिक करिते रहलौं अहाँ
अहाँ कखनो तँ हमरो लग बैसल करू
बहुत मारूक अछि नैनक भाषा प्रिये
अपन नैनक कटारी नै भोंकल करू
करेजा हमर फुलवारी प्रेमक बनल
सिनेहक फूल ई सदिखन लोढल करू
अहीं जिनगी, अहीं साँसक डोरी हमर
करेजक आस नै "ओम"क तोडल करू
(मफाईलुन-मफाईलुन-मुस्तफइलुन)- प्रत्येक पाँतिमे एक बेर
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