गजल - जगदानन्द झा 'मनु'


किए तीर नजरिसँ अहाँकेँ चलैए 
हँसी ई तँ घाएल हमरा करैए 


मधुर बाजि खन-खन पएरक पजनियाँ 
हमर मोन रहि रहि कए डोलबैए   


छ्लकए हबामे अहाँकेँ खुजल लट 
कतेको तँ  दाँतेसँ   आङुर कटैए


ससरि जे जए जखन आँचर अहाँकेँ 
जिला भरि  करेजाक धड़कन रुकैए 

अहीँकेँ तँ मुँह देखि जीबैत 'मनु' अछि 
बिना संग नै साँस मिसियो चलैए 

(बहरे - मुतकारिब, मात्राक्रम -122-122-122-122)

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