गजल@प्रभात राय भट्ट
गजल
प्रेमक दुनियाँ में संसारक रित धनी तोईर दियशराबी ठोरक रस हमरा ठोर पर घोईर दिय
प्रेमक बैरी इ दुनिया की जाने प्रेम सनेहक मोल
अनमोल प्रेम सं दिल टूटल हमर जोईर दिय
अहिं हमर जिनगी छि हम अहिं प्रेम केर दीवाना
दिल लगा कs हमरा सं जमाना के पाछु छोईर दिय
प्रेमक पंछी हम अहाँ उईर चलू प्रेम नगर में
कियो देखैय खराप नजैर सं ओकर मुह मोईर दिय
अप्पन प्रेम देख क दुनिया जैईर जैईर मरतै
प्रेमक दुश्मन जमाना के अहाँ धनी झकझोईर दिय
-----------वर्ण-२०------------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट
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