गजल@प्रभात राय भट्ट
गजल
आजुक दुनियां में सब किछ विकाऊ भsगेलै
अनैतिक कुकर्म करैबला कें नाऊ भsगेलै
बेच अप्पन इज्जत कमबै छै टाका रुपैया
ठस ठस गन्हईत छौड़ी सभ कमाऊ भsगेलै
उठलै लोकलाजक पर्दा भsगेलै गर्दा गर्दा
चौक चौराहा नगरबधू के गाँउ ठाऊ भsगेलै
इज्जत केर धज्जी उर्लै एलै केहन जवाना
पुलिस प्रहरी थाना एकर जोगाऊ भsगेलै
वर्ण -17
रचनाकार--प्रभात राय भट्ट
Tags - maithili gajal, prabhat ray bhatta, gajal, maithili, mithila, mithila gajal, maithili nik gajal, maithili gajal geet
आजुक दुनियां में सब किछ विकाऊ भsगेलै
अनैतिक कुकर्म करैबला कें नाऊ भsगेलै
बेच अप्पन इज्जत कमबै छै टाका रुपैया
ठस ठस गन्हईत छौड़ी सभ कमाऊ भsगेलै
उठलै लोकलाजक पर्दा भsगेलै गर्दा गर्दा
चौक चौराहा नगरबधू के गाँउ ठाऊ भsगेलै
इज्जत केर धज्जी उर्लै एलै केहन जवाना
पुलिस प्रहरी थाना एकर जोगाऊ भsगेलै
वर्ण -17
रचनाकार--प्रभात राय भट्ट
Tags - maithili gajal, prabhat ray bhatta, gajal, maithili, mithila, mithila gajal, maithili nik gajal, maithili gajal geet
Post a Comment