गजल

गजल-११


काजरसँ शोभा आँखिक की आंखिसँ शोभित काजर
करिया जादू सँ केलक सभके सम्मोहित काजर


नजरि नञि ककरो लागय जादू - टोना छू - मंतर 
डायनो-जोगिन के केलक मोन के मोहित काजर


लागैन्हि नजरि नें अपना की लेती प्राण अनकर
फँसल मोन दुविधा में ई देख अघोषित काजर

सम्हारल जेतै कोना क ई भाव करेजक भीतर
परसै प्रणय - निवेदन नैन नवोदित काजर

ई मेघो देखि लाजयल जे कारी खट-खट काजर
"नवल" कलंकक सोझा भ गेल अलोपित काजर

----- वर्ण - १९ -----
►नवलश्री "पंकज"◄

 < १७.०६.१२ >

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