History Of Mithila


मिथिला : एक परिचय मिथिला प्राचीन भारत मे एकटा साम्राज्य छल । ई पूर्वी गंगा मैदान मे अवस्थित अछि, जे आब आधा सँ अधिक बिहार और ओकरा सँ जुड़ल नेपालक भाग अछि । रामायण महाकाव्यक अनुसार मिथिला विदेह साम्राज्यक राजधानी छल । एहि शहरक पहचान नेपालक धनुषा जिला मे आजुक जनकपुर सँ कएल गेल अछि । विदेहक देश कखनो-कखनो मिथिला कहल जाईत अछि, जहन कि ई राजधानी छल । ई ठीक ओहिना अछि जेना कि कोशल साम्राज्यक राजधानी अयोध्या छल, जे कोशलक तुलना मे बेसी प्रसिद्ध भेल ।

प्राचीन पोथिक अनुसार मिथिलाक क्षेत्र कोशी नदीक क कछैर स शालग्रामी नदी क कात तक, पूरब स पश्चिम तक चौबीस योजन, अर्थात ९६ कोस(१९२ माईल) आर गंगा नदी क कात स नेपाल क पहाड़ तक, दक्षिण-उत्तर सोलह योजन अर्थात ६४ कोस ( १२८ माईल) अछि।

एही देशक आबादी तथा नामकरण केर आधार ई अची जे सतयुग म राजा निमी, जे सूर्यवंशी इक्ष्वाकु क पुत्र रहे, अयोध्यापुरी स आबी क एही स्थान पर तपस्या करय लागल। ओ समय ई स्थान 'तपोवन' केर नाम स प्रसिद्ध रहे। मुदा किछु कारन स राजा निमी अपन पुरोहित वसिष्ठ मुनि क शाप स जरि क भष्म भए गेल। तखन देवता सब हुनका पुत्र विहीन होएक कारण हुनकर राख क इकट्ठा कए क मंथन केलक जेकरा स एकटा बालक केर जन्म भेल। एही बालक जखन युवा भेल त ओ अपन ओ वन क आबाद केलक जाही स ओ क्षेत्रक नाम हुनकर नाम पर मिथिला पडल।

मिथिलाभी भवः मैथिल “मिथिला मे जन्म लेनिहार मैथिल भेलाह, वा मैथिली भाषा बाजनिहार मैथिल छथि । गंगा बहथि जनिक दक्षिण दिशि, पूर्व कौशिकी धारा, पश्‍चिम बहथि गंडकी उत्तर हिमवत्‌ बल विस्तारा ।

एही तरह राजा निमी स ल क राजा हुलासन (राजा कृति) तक ५६ टा राजा एही काल म भेल जाही में एही काल केर २४ राजा, 'राजा सीरध्वज' जिनकर बेटी सीता छलाह स राजा रामचंद्र केर विवाह भेल आ ओही स ओ एतेक प्रसिद्ध भेल की ओकरा सब राजा जनक कहय लागल ओना जनक के मतलब राजा होए छैक, मुदा हुनकर बेटी जानकी रहे ओ मिथिला वंश केर २४ जनक रहे एही लेल हुनका सब 'जनक' कहय लागल।

मिथिलाक गाथा कतओक शताब्दी धरि पसरल अछि । ई कहल गेल अछि जे गौतम बुद्ध आ वर्धमान महावीर दुनू गोटे मिथिला मे रहल छलाह । ई प्रथम सहस्त्राब्दिक दौरान भारतीय इतिहासक केंद्र छल आ विभिन्न साहित्यिक आ धर्मग्रंथ संबंधी काज मे अपन योगदान देलक ।

मैथिली मिथिला मे बाजय जायवला भाषा थिक । भाषाविद मैथिली कें पूर्वी भारतीय भाषा मानलनि अछि आ एहि तरहें ई हिन्दी सँ भिन्न अछि । मैथिली कें पहिने हिन्दी आ बंगला दुनूक उप-भाषा मानल जाइत छल मुदा इ बंगाली स १०० वर्ष पुरान भाषा अछि। वस्तुत: मैथिली आब भारतीय भाषा बनि चुकल अछि ।

’मिथिला, एहि क्षेत्र मे सृजित हिन्दू कलाक एक प्रकारक नाम सेहो थिक । ई विशेष कऽ वियाह सँ पूर्व महिला द्वारा घर के सजेबाक लेल घरक देबार आ सतह पर धार्मिक, ज्यामितीय आ चिहनांकित आकृति सँ शुरु भेल आ एहि क्षेत्र सँ बाहर एकरा नहि जानल जाइत छल । जहन एहि कलाक लेल कागजक शुरुआत भेल तँ महिला लोकनि अपन कलाकृति कें बेचय लगलीह आ कलाक विषय वस्तु कें लोकप्रिय आ स्थानीय देवताक संगहि प्रतिदिनक घटनाक चित्रांकन धरि विस्तृत केलीह । गंगा देवी संभवत: सब सँ प्रसिद्ध मिथिलाक कलाकार छथि । ओ परंपरागत धार्मिक मिथिला चित्रांकन, लोकप्रिय देवताक चित्रांकन, रामायण आ अपन जिनगीक घटना सँ दृश्यक चित्रांकन कयलनि । आब एकर आधुनिक नाम भेटल मिथिला पेंटिंग क, मिथिला पेंटिग आब बाजार मे हिस्सेदारी प्राप्त कयलक अछि । आब सरकार सेहो राष्ट्रीय धरोहरक रूप मे एकरा सहायता दऽ रहल अछि ।

महाकवि विद्यापति स लए के बाबा नागार्जुन आ फणीश्वर नाथ रेनू तक एहिठाम ढेर रास कवी आ लेखक भेल, ओना देखल जाय त मिथिला आय धरि देशक शिरमौर अछि आ देशक कैकटा नामी गिरामी लोग देना छैथ।

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