( आलु कोबी मिरचाई यै,
कि लेबै यै दाय यै / दाय यै )-२
कोयलख कए आलु,राँची कए मिरचाई यै
बाबा करता बड ,बड़ाई यै / बड़ाई यै
आलु कोबी - - - - - - -दाय यै
नहि लेब तs कनी देखियो लियौ
देखए कए नहि कोनो पाई यै / पाई यै
आलु कोबी - - - - - - - - दाय यै
दरभंगा सँ अन्लौंह विलेतिया ई कोबी
खाय कs तs कनियाँ बिसरती जिलेबी
कोयलख कए आलु ई चालु बनेतै
धिया-पुता कए बड ई सुहेतै
राँची सँ अन्लौंह मिरचाई यै
कि लेबै यै दाय यै / दाय यै
( आलु कोबी मिरचाई यै,
कि लेबै यै दाय यै / दाय यै )-२
***जगदानंद झा 'मनु'
Post a Comment