पुष्कर भारती : मिथिला के गीत - गगनक चमकैत सितारा


ई छथि पुष्कर भारती झा। आधुनिक मैथिली गीत आ संगीतक क्षेत्र में जानल पहचानल नाम। अयोध्या महाराज के राजदरवारक प्रसिद्ध गवैया अपन दादा पंडित कामदेव झा सं संगीतक प्रारंभिक शिक्षा लयकय सतत रियाजक बल पर अपन सुर साधना में लीन रहिकय जे सफ़लता अर्जित केने छथि वो अपने आप में अति प्रशंसनीय अछि। 
पंडित कामदेव झा पुष्कर जीक प्रारंभिक गुरु छलाह। पुष्कर जी संगीतक हर सीढी के पार करैत गेलाह। हिनकर दोसर गुरु छलाह पंडित हरिद्वार प्रसाद खाण्डेलवाल जिनका सं पुष्कर जी ख्याल ठुमरी गायकी, गजल गायकी केर गुढ़ताक ज्ञान प्राप्त केलनि। संगेहि संग ,रामपुर घराना के सारंगी वादक उस्ताद मकबूल हुसैन खान साहब सं अपन गायकी के आरो बारीकी आ गंभीरता सिखलनि । संगीत साधना के निरंतर जारी रखैत पुष्कर जी अपन शैक्षणिक योग्यता से हो प्राप्त करैत गेलाह, संगीत में एम ए, पी एच डी (चंडीगढ विश्वविद्यालय सं संगीत भास्कर ) केलनि। साथ साथ कतेको मैथिली भजन, आधुनिक गीत गबैत, सीडी आ कैसेट निकालि कय अपन नाम पैघ करैत गेलाह।
 वर्तमान समय में पुष्कर भारती जी नागेन्द्र झा महिला कॉलेज , दरिभंगा में संगीतक प्राध्यापकक रुप में कार्यरत छथि। समय समय पर नीक मंच चुनि कय संगीतक कार्यक्रम कय रहल छथि । पुष्कर जी के अभिनय सं खास लगाव छनि। 
अलबम में “ घुंघट में चांद”, “मैथिली आरती”, “देवी अराधना”, “दुर्गा महारानी”, “देवी पूजा”, “स्टाईलवाली”, “चितचोर’, “दूल्हा”, “राम विवाह”, “कृपा करू जगदम्बे”, “जगदम्ब अहिं अबलम्ब एहन”, “शिव गुरु चर्चा”, “नाथ भोले नाथ” आदि किछु प्रमुख आ विशेष नाम अछि !

एखन पुष्कर जी मैथिली में विद्यापति गीत आ गजलक एल्बम पर काज कय रहल छथि।- भास्कर झा




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