जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब - गजल
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गजल,
गजलक विडियो,
जगदानन्द झा 'मनु'
- on 22:25
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प्रेम कलशसँ अमरित पीया तँ दिअ - ग़ज़ल
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गजल,
गजलक विडियो,
जगदानन्द झा 'मनु'
- on 09:24
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- on 06:57
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|| तिलासंक्रान्ति ||
" भरल चगेंरी मुरही चुरा "
" भरल चगेंरी मुरही चुरा "
उठ - उठ बौआ रै निनियाँ तोर ।
अजुका पाबनि भोरे भोर ।।
पहिने जेकियो नहयबे आई ।
भेटतौ तिलबा रे मुरही लाइ ।। उठ....
ई पावनि छी मिथिलाक पावनि
सब पावनि सं बड़का छी ।
भरल चगेंरी मुरही चुरा
तिलवा लाई उपरका छी ।।
उपर देहिया थर - थर काँपय
भीतर मनुआँ भेल विभोर ।। उठ....
चहल पहल भरि मिथिला आँगन
अइ पावनि के अजब मिठाई ।
आई देत जे जतेक डुब्बी
भेटतै ततेक तिलबा लाई ।।
मुन्ना देखि भरय किलकारी
जहिना वन में कोइलिक शोर ।। उठ...
बुढ़िया दादी बजा पुरोहित
छपुआ साडी कयलक दान ।
तील चाऊर बाँटथि मिथिलानी
एहि पावनि केर अतेक विधान ।।
"रमण" खिचड़ी केर चारि यार संग
परसि रहल माँ पहिर पटोर ।। उठ......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
- on 05:16
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- on 20:21
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|| जे छल सपना ||
सुन - सुन उगना ,
कंठ सुखल मोर जलक बिना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
नञि अच्छी घर कतौ !
नञि अंगना
नञि अछि पोखैर कतौ
नञि झरना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
अतबे सुनैत जे
चलल उगना
झट दय जटा सँ
लेलक झरना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
निर्मल जल सरि के
केलनि वर्णा |
कह - कह कतय सँ
लय लें उगना ||
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल --
अतबे सुनैत फँसी गेल उगना
"रमण " दिगम्बर जे
छल सपना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
मउहक गीत
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REVTI RAMAN JAH "RAMAN",
मउहक गीत
- on 02:36
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|| मउहक गीत ||
रचित - रेवती रमण झा "रमण "
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना |
सारि छथि सोंझा , सरहोजि नव साजलि
वर विधकरी आगाँ में बैसलि
चहुँ नव - नव लोक भरल अंगना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना ||
एकटा हमर बात मानू यौ रघुवर
आजुक खीर , नञि करियौ अनादर
पुनि मउहक के थारी होयत सपना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना ||
" रमण " सासुर केर मान आइ रखियौ
सासुरक सौरभ ई खीर आइ चखियौ
बाजू - बाजू यौ दुहा मनाबू कोना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना |
:-
मउहक गीत - 2
खैयौ , खैयौ खीर यौ पाहुन
की छी गारि सुनैलय बैसल |
सोझ करैलय हमर धिया यौ
अहाँक घर में पैसल ||
खैयौ , खैयौ ------
सभ्य ग्राम केर उत्तम कुल सँ
निकहि बापक बेटा
जे - जे मंगलौ , देलौ सबटा
बेचि कय थारी लोटा
मान - मनौती अतिसय कयलौं
तनिक विवेक नञि जागल ||
खैयौ , खैयौ -----
सुभग नैन नक्स वर ओझा
कीय मति के बकलोल
सबटा ब्यंजन छोरी -छोरी कय
माय खुऔलथि ओल
सब कियो घर में सान्त स्वरूपहि
कियक अहाँ छी चंचल ||
खैयौ , खैयौ ------
जानू "रमण " खीर केर महिमा
ई मिथिला केर रीत
सुमधुर गीत गाबथि मिथिलानी
पावन परम पुनीत
तिरहुत देश हमर ई देखु ,
आइ हँसैया खल - खल
खैयौ , खैयौ -----
लेखक : -
रेवती रमण झा ''रमण "
मो - 91 9997313751
रचित - रेवती रमण झा "रमण "
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना |
सारि छथि सोंझा , सरहोजि नव साजलि
वर विधकरी आगाँ में बैसलि
चहुँ नव - नव लोक भरल अंगना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना ||
एकटा हमर बात मानू यौ रघुवर
आजुक खीर , नञि करियौ अनादर
पुनि मउहक के थारी होयत सपना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना ||
" रमण " सासुर केर मान आइ रखियौ
सासुरक सौरभ ई खीर आइ चखियौ
बाजू - बाजू यौ दुहा मनाबू कोना |
खीर खैयौ , नञि दूल्हा लजैयौ ऐना |
:-
मउहक गीत - 2
खैयौ , खैयौ खीर यौ पाहुन
की छी गारि सुनैलय बैसल |
सोझ करैलय हमर धिया यौ
अहाँक घर में पैसल ||
खैयौ , खैयौ ------
सभ्य ग्राम केर उत्तम कुल सँ
निकहि बापक बेटा
जे - जे मंगलौ , देलौ सबटा
बेचि कय थारी लोटा
मान - मनौती अतिसय कयलौं
तनिक विवेक नञि जागल ||
खैयौ , खैयौ -----
सुभग नैन नक्स वर ओझा
कीय मति के बकलोल
सबटा ब्यंजन छोरी -छोरी कय
माय खुऔलथि ओल
सब कियो घर में सान्त स्वरूपहि
कियक अहाँ छी चंचल ||
खैयौ , खैयौ ------
जानू "रमण " खीर केर महिमा
ई मिथिला केर रीत
सुमधुर गीत गाबथि मिथिलानी
पावन परम पुनीत
तिरहुत देश हमर ई देखु ,
आइ हँसैया खल - खल
खैयौ , खैयौ -----
लेखक : -
रेवती रमण झा ''रमण "
मो - 91 9997313751